बिहार में पूर्वी चंपारण जिले के सामाजिक कार्यकर्ता अमित कुमार ने आरटीआई के जरिए पता लगाया कि राज्य ने केंद्र सरकार द्वारा अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रम स्कीम के तहत दी गई धनराशि का पूर्ण उपयोग नहीं किया. दरअसल केंद्र सरकार ने 1990-91 से लेकर 2000-01 तक इस स्कीम के अंतर्गत राज्य सरकार के प्रौढ़ एवं अनौपचारिक शिक्षा विभाग को जो धन उपलब्ध कराया, उसमें 41.99 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने खर्च ही नहीं किए. 2008 तक यह धनराशि केंद्र सरकार को वापस भी नहीं की गई.
राज्य सरकार ने अन्य मदों में इस धनराशि को खर्च कर दिया. केंद्र ने भी उस राशि के लिए कोई प्रयास नहीं किए. मई 2008 में अमित कुमार ने पीएम ऑफिस में आरटीआई आवेदन कर अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रम स्कीम के तहत बिहार को जारी की गई धनराशि से जुड़े सभी पहलुओं के संबंध में ब्योरा मांगा. उन्होंने यह जानकारी भी चाही कि इस मसले पर नियंत्रक एवं महालेखानिरीक्षक (कैग)ने क्या रिपोर्ट दी और उस पर क्या कार्रवाई हुई? पीएम ऑफिस से उनके आवेदन को ह्यूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट मिनिस्ट्री को भेज दिया गया.
मिनिस्ट्री ने अगस्त 2008 में अमित कुमार को कैग रिपोर्ट के हवाले से बताया कि बिहार ने स्कीम के तहत जारी की गई 41.99 करोड़ रुपये धनराशि अन्य मदों में खर्च की. उसने यह धनराशि केंद्र सरकार को 2008 तक लौटाई भी नहीं. जबकि केंद्र की अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रम स्कीम वित्त वर्ष 2000-01 में खत्म हो गई थी. सितंबर 2009 में ह्यूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट मिनिस्ट्री ने एक अन्य पत्र लिखकर अमित कुमार को सूचित किया कि बिहार सरकार से 41.99 करोड़ रुपये ब्याज सहित मांगे गए है. यानी कि जो काम कैग रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार को करना चाहिए था, वह एक व्यक्ति के द्वारा आवाज उठाने के बाद किया गया.
राज्य सरकार ने अन्य मदों में इस धनराशि को खर्च कर दिया. केंद्र ने भी उस राशि के लिए कोई प्रयास नहीं किए. मई 2008 में अमित कुमार ने पीएम ऑफिस में आरटीआई आवेदन कर अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रम स्कीम के तहत बिहार को जारी की गई धनराशि से जुड़े सभी पहलुओं के संबंध में ब्योरा मांगा. उन्होंने यह जानकारी भी चाही कि इस मसले पर नियंत्रक एवं महालेखानिरीक्षक (कैग)ने क्या रिपोर्ट दी और उस पर क्या कार्रवाई हुई? पीएम ऑफिस से उनके आवेदन को ह्यूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट मिनिस्ट्री को भेज दिया गया.
मिनिस्ट्री ने अगस्त 2008 में अमित कुमार को कैग रिपोर्ट के हवाले से बताया कि बिहार ने स्कीम के तहत जारी की गई 41.99 करोड़ रुपये धनराशि अन्य मदों में खर्च की. उसने यह धनराशि केंद्र सरकार को 2008 तक लौटाई भी नहीं. जबकि केंद्र की अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रम स्कीम वित्त वर्ष 2000-01 में खत्म हो गई थी. सितंबर 2009 में ह्यूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट मिनिस्ट्री ने एक अन्य पत्र लिखकर अमित कुमार को सूचित किया कि बिहार सरकार से 41.99 करोड़ रुपये ब्याज सहित मांगे गए है. यानी कि जो काम कैग रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार को करना चाहिए था, वह एक व्यक्ति के द्वारा आवाज उठाने के बाद किया गया.
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