Monday, July 26, 2010

मुजफ्फरपुर में बारिश से जल जमाव की समस्या उत्तपन..

जहां आज पुरे बिहार में development का डंका पिटा जा रहा है, वही बिहार ही के दूसरी राजधानी के रूप में जाना जाने वाले शहर मुजफ्फरपुर में दिन- प्रतिदिन हालात बद से बदतर होते जा रहे है.....
आज शाम हुई हलकी बारिश ने नगर निगम की कलाई खोल दी...
बात की जाए अगर मिठनपुरा की तो यहाँ की सडको पे तो पैर भी रखना दूभर हो गया है..यहाँ नहीं तो प्रोपर drainage है और ना ही नगर निगम द्वारा इसकी समय पे सफाई कराई जाती है..नाली साफ़ नहीं होने की वजह से हलकी बारिश में ही जल जमाव की समस्या उत्तपन हो जाने से आने जाने वाले लोगो को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है....
वही गारमेंट्स हब कहे जाने वाले मोतीझील की बात करें तो यहाँ इरकॉन द्वारा बनाये गए नव निर्मित नाले अभी से ही लाबा लैब भर चुके है और वहां भी जल निकासी की समस्या है...
ज्ञात हो की शहर के सौन्दर्येकरण के लिये लाखो रुपये खर्च किये जा रहे है लेकिन शहर की सबसे बड़ी समस्या जल जमाव पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है... अगर आने वाले दिनों में भी यही हालात रहे तो शहर वालो को हर साल जल जमाव की समस्या से जूझना पड़ेगा.....

Thursday, July 22, 2010

राजधानी पटना का बिगड़ता TRAFFIC SYSTEM


पटना तो बस नाम की राजधानी है. यहां कई ऐसी चीजें हैं जो एक राजधानी की इमेज को सूट नहीं करती. इसमें सबसे बड़ी चीज है यहां का ट्रैफिक सिस्टम. पटना में ट्रैफिक सिस्टम इतना बेकार है कि इसका खामियाजा हर वक्त पब्लिक भुगतती है. यहां किसी में भी कॉमन सेंस है ही नहीं. हाउ टू ड्राइव, हाउ टू पार्क, किसी भी बात की समझ यहां के लोगों में नहीं है. रेड लाइट होने पर भी तमाम लोग लाइन पार करके खड़े रहते हैं. दूसरी ओर मेन रोड पर ही गाड़ी पार्क कर देते हैं जिससे आने जाने वालों को काफी कठिनाई होती है. डाक बंगला की ही बात करें तो मेन रोड पर गलत पार्किंग की वजह से जाम लग जाता है. वहीं फ्रेजर रोड, एग्जीबिशन रोड, एसपी वर्मा रोड आदि पर तो सड़क पर गाड़ी लगाना रूटीन में शामिल है. सबसे बड़ी बात यह है कि मैंने आज तक ट्रैफिक पुलिस को कोई इनिशिएटिव लेते नहीं देखा है. इसके लिए उन्हें इनिशिएटिव लेना ही होगा. वरना हम आये दिन जाम की समस्या झेलते रहेंगे. साथ ही मैं लोगों से भी अपील करता हूं कि वे सिविक सेंस डेवलप करें, तभी इसे सही किया जा सकता है. हर जगह पर पार्किंग हो और उसका सही यूज हो, तभी यहां का ट्रैफिक सिस्टम हेल्दी होगा

महंगाई डायन खाए जात है,.......


महंगाई के बारे में क्या बोला जाए. जितना बोलो, उतना कम ही लगता है. क्योंकि इससे संबंधित इतनी बातें होती हैं कि हमें समझ ही नहीं आता कि क्या बोलें और क्या नहीं. महंगाई का तो अब यह हाल है कि कोई भी चीज सस्ती नहीं लगती. हर महीने हर चीज के दाम बढ़ जाते हैं. और सबसे बड़ी बात तो यह कि किसी एक चीज के दाम बढ़ने का असर पूरे मार्केट पर पड़ता है. अभी पेट्रोल, डीजल और किरासन तेल की ही बात करें तो हम देख सकते हैं कि इनके दाम बढ़ने से बाकी सामानों के दाम भी बढ़ गए हैं. इसका असर पूरे मार्केट पर पड़ने लगा है. ठीक उसी तरह अगर बस या ट्रेन का किराया बढ़ता है तो डेली यूज होने वाले हर सामान का दाम भी बढ़ जाता है. पिछले तीन-चार साल से महंगाई का यही हाल है. बढ़ती कीमतों ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा. हमारी सैलरी तो जस की तस है, लेकिन सामानों के दाम बढ़ने से हमारा बजट गड़बड़ हो गया है. हर महीने, हम मार्केट तो कुछ और सोच कर जाते हैं. लेकिन बजट कुछ और ही बनता है. और तो और अगर एक बार दाम बढ़ने लगते हैं तो कम ही नहीं होते. बस बढ़ते ही जाते हैं. इस महंगाई पर लगाम लगना बहुत ही जरूरी है, तभी तो आम जनता चैन की सांस ले पाएगी.

पहले अपनी गिरेवान को झाको ,तुब दूसरों पे ब्लेम करो....

पटना है तो राजधानी, लेकिन यहां प्रॉब्लम भी अनेक हैं. यही नहीं, यहां कंप्लेन भी हर किसी के पास है. कहें तो फ‌र्स्ट साइट सबका कंप्लेन भी सही ही लगता है. खराब सड़क, वाटर क्राइसिस, सड़कों पर पसरी गंदगी, पावर कट सहित कई प्रॉब्लम्स, जिनसे हम-आप आए दिन जूझते रहते हैं. पूरी राजधानी में किसी से भी पूछ लें, उसके पास शिकायतों का अंबार मिलेगा और इसके लिए हर कोई एडमिनिस्ट्रेशन को ही दोषी ठहराएगा. लेकिन, मेरी राय इससे थोड़ी डिफरेंट है. एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी से मैं इनकार नहीं करता, लेकिन कहीं ना कहीं इसके लिए हम भी जिम्मेदार हैं. सिस्टम को बनाए रखने की जिम्मेदारी जरूर एडमिनिस्ट्रेशन की है, पर व्यवस्था हमारे इंवॉल्वमेंट के बिना कंट्रोल में नहीं रह सकती. अगर सड़कों पर जहां-तहां कूड़ा बिखरा पड़ा है तो इसके लिए एडमिनिस्ट्रेशन से ज्यादा हम जिम्मेदार हैं. हम सड़कों पर बने कूड़ेदान में कूड़ा नहीं डालकर उसे दूसरी जगह डाल देते हैं. इसी प्रकार, वाटर क्राइसिस होने पर हंगामा-प्रदर्शन सब कुछ करते हैं, लेकिन पानी बचाने को लेकर हम कुछ भी नहीं करते हैं. घंटों नल से पानी निकलता रहता है, लेकिन हमें ध्यान नहीं रहता. यही कंडीशन बिजली के साथ भी है, हम एडमिनिस्ट्रेशन को कोसना शुरू कर देते हैं....कुछ मैय्नोमें हम अपनी रिस्पांसबिलिटी समझें, तो नजर नहीं आएगी हमे इतनी प्रॉब्लम ................

Monday, July 5, 2010

भारत बंद का दिखा भरी असर ....

तेल की बढ़ी कीमत ने महगाई में मानो आग लगा दी है। मनमोहन सरकार के पाँच साल तो अच्छे बीते। लेकिन, अब हालात बदल चुके हैं और वक़्त ने भी करवट ली है। राजनीति कि बिसात बिछ चुकी है और सभी अपनी-अपनी चाल से बादशाहत हासिल करने की जुगार में है। आज बारी थी विपक्ष के भारत बंद की। बंद सफल भी दिखा। दिल्ली, कोलकाता, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान मुख्यतः इसके निशाने पर थे। बात की जाये बिहार की राजधानी पटना की तो यहाँ का नज़ारा कुछ और ही था। ज्ञात हो की बिहार में बीजेपी और जद-यू के गठबंधन की सरकार है। किन्तु, आज का वाकया कुछ और ही बयां कर रहा था। आज यहाँ एक ही घर के दो सदस्य आपस में लरते दिखे। दोनों पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का पुतला फूंकना कहीं न कहीं विगत नीतीश-मोदी विवाद की यादें ताजा कर दी। राजग की माने तो यह बंद शांतिपूर्ण था लेकिन, काश ऐसा हो पाता।हर जगह आगजनी और तोरफोर ने गडकरी के शांतिपूर्ण को सवालिया ठहरा दिया है। अब सवाल यह है कि यह बंद अपनी मुफ्लिशाही का पैगाम था या वोट मांगने का जरिया।

Thursday, July 1, 2010

कैचपीट, मैनहोल और नाला

अध्यक्ष महोदय, मेरे वार्ड में अधिकतर मेन होल खुले हैं. हल्की बारिश में ही कॉलोनी की स्थिति बदतर हो गई है. अध्यक्ष जी, मेरे वार्ड के कई मुहल्ले में वाटर क्राइसिस है. ड्रिंकिंग वाटर के लिए लोगों को काफी परेशानी हो रही है. कब तलक इससे निजात मिलेगी. सीएफएल लाईट तो आज तक पूरी लगी ही नहीं. ये तमाम सवाल ऐसे हैं, जो वार्ड काउंसलर्स बुधवार को निगम बोर्ड की हुई मीटिंग में नवनिर्वाचित मेयर से पूछ रहे थे. काउंसलर्स का कहना था कि अब बारिश ने भी दस्तक दे दी है. ऐसे में भले ही निगम ऑफिसर दावे कर रहे हों, लेकिन वास्तविकता यही है कि ग्राउंड लेवल पर कुछ नहीं हुआ है.
दो प्रस्ताव पारित
वाटर क्राइसिस को लेकर हर दिन हो रहे हंगामे ने पार्षदों का भी जीना मुहाल कर दिया है. तमाम पार्षदों ने इसको लेकर एक स्वर में हाऊस में आवाज उठाई. सभी इसका कोई परफेक्ट सॉल्यूशन चाहते थे. डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू ने हाऊस में यह सवाल रखा कि इसका निदान क्यों नहीं निकाला जाता कि कहीं भी यदि ट्रांसफार्मर जले या फिर मोटर जले फिर भी वाटर सप्लाई को निर्बाध ढंग से चालू रखा जा सके. इसको लेकर कमिश्नर श्रीधर चेरिबेलु ने दो प्रस्ताव बोर्ड को सुझाए. इनमें पहला था-कार्यपालक पदाधिकारी को जलापूर्ति शाखा मद में 50 हजार रुपए की राशि खर्च करने का राईट हो. इसके अलावा दूसरा प्रस्ताव यह है कि मरम्मति मद के चार राउंड का पैसा कार्यपालक पदाधिकारी के पास रिजर्व होगा. बोर्ड ने ध्वनि मत से इसे पास कर दिया.

Compelled to do out as we have no options.....


पटना हमेशा से एजूकेशन हब के रूप में जाना जाता है. यहां से हर साल ढेरों स्टूडेंट्स मेडिकल, इंजीनियरिंग या अदर कांपटीशन कंपीट करते हैं, पर अगर देखें तो पटना में रह कर तैयारी करने वाले और कंपीट करने वालों की संख्या काफी कम है. आगे की तैयारी के लिए यहां पर कोई व्यवस्था नहीं है. टेंथ तक की पढ़ाई तो यहां पर काफी अच्छी होती है और स्टूडेंट्स काफी अच्छा करते भी हैं, लेकिन प्लस टू और उसके आगे की तैयारी के लिए स्टूडेंट्स को बार दूसरे शहर का रास्ता देखना पड़ता है. क्योंकि कांपटीशन के प्वाइंट ऑफ व्यू से यहां पर विशेष व्यवस्था नहीं है. टेंथ करने के बाद यहां स्टूडेंट्स भटकने लगते हैं, जिन्हें मौका मिलता है वे तो बाहर चले जाते हैं और जो यहां पर रहते हैं, उन्हें आगे की तैयारी के लिए छोटे-मोटे इंस्टीच्यूट पर डिपेंड रहना पड़ता है. ऐसे में जो खुद सीरियस होते हैं, वे तो तैयारी कर लेते हैं, लेकिन जो इंस्टीच्यूट पर डिपेंड होते हैं, उन्हें कई तरह की दिक्कतें होती हैं. अगर हमारे शहर में अच्छे इंस्टीच्यूट खुल जायें और हम यहीं पर रह कर तैयारी करें, तो शायद अधिक अच्छा कर सकते हैं. दूसरे शहरों में जाने पर कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अगर कोटा, बोकारो, दिल्ली, कानपुर की तरह यहां पर भी तैयारी करने के लिए इंस्टीच्यूट हो, तो रिजल्ट और पोजिटिव होगा.

ट्रक ने छीन ली जिन्दगी ....

किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि अमित बुधवार को आखिरी बार कोचिंग जाएगा. अमित (15) जैसे ही अपनी कोचिंग से निकला, उसे एक ट्रक ने धक्का मार दिया. घायलावस्था में उसे पीएमसीएच में एडमिट कराया गया, जहां उसकी मौत हो गयी. घटना पटना सिटी के चौक थाना के हाजीगंज इलाके की है. अमित मालसलामी के मीर जवान की छावनी का रहने वाला था. टक्कर लगने के बाद लोकल पब्लिक ने ट्रक ड्राइवर रवि कुमार को पकड़ कर उसकी बेरहमी से पिटाई की. यहां तक कि उसे खंभे में बांधकर मारा. लोगों ने सड़क जाम और हंगामा भी किया.

नहीं मिला अभी तक कोई सुराग.....

अपराधियों का मनोबल कितना बढ़ गया है, यह उनके द्वारा अंजाम दी जा रही घटनाओं को देखकर लग रहा है. मंगलवार की देर रात सचिवालय के पास दैनिक जागरण के सीनियर जर्नलिस्ट मधुरेश से अपराधियों ने उनकी पल्सर बाइक और रुपए लूट लिए. पल्सर पर सवार दो अपराधियों की हिमाकत ही कहिए कि मोबाइल लूट लिया और उसका सिम निकालकर दे दिया. घटना के बाद सचिवालय थाना में मामला दर्ज कराया गया. लूट के बाद इंवेस्टिगेशन शुरू हो गया. देर रात के बाद से ही पुलिस लुटेरे को ढूढ़ने में लगी रही, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाया. वैसे सीनियर ऑफिसर्स ने भी मामले की जानकारी लेनी शुरू कर दी और अपराधियों की धर-पकड़कर का मामला तेज हुआ. पुलिस को एक गाड़ी लवारिस हालत में भी मिली, लेकिन वह लूटी हुई बाइक नहीं थी. देर शाम भी सचिवालय थाना में ऑफिसर्स ने दिनभर में की गयी कार्रवाई की जानकारी ली.

गंगा तेरा पानी अमृत ......

श्रमदान का आज भी काफी इंपॉर्टेस है. बस, उसे दिल से करने तथा मिशन बनाने की जरूरत है. बुधवार को ऐसा ही नजारा देखने को मिला. यूथ गंगा सफाई को अपना मिशन बनाए हुए थे. बुधवार की सुबह गंगा नदी के काली घाट पर गायत्री परिवार के प्रज्ञा युवा प्रकोष्ठ ने ऑपरेशन क्लीन चलाया. इसके तहत पांच लड़कों ने दरभंगा हाऊस के काली घाट और पटना कॉलेज के कृष्णा घाट की सफाई की. इसके पूर्व सुबह आठ बजे काली घाट से साइंस कॉलेज तक गंगा की सफाई को लेकर मार्च किया. प्रज्ञा युवा प्रकोष्ठ के फाउंडर मेंबर मनीष कुमार कहते हैं कि यदि गंगा में पूजा-पाठ की सामग्री नहीं फेंकी जाए, तो काफी हद तक गंगा को पॉल्यूट होने से रोका जा सकता है. उन्होंने बताया कि बुधवार से इस अभियान की शुरुआत की गई है. आनेवाले दिनों में गंगा के सभी घाटों की सफाई के लिए मिशन चलाया जाएगा. ऑपरेशन क्लीन में सुधाकांत मिश्र, ज्ञान प्रकाश, पी रंजन ने इसको लीड किया.