Thursday, July 1, 2010

कैचपीट, मैनहोल और नाला

अध्यक्ष महोदय, मेरे वार्ड में अधिकतर मेन होल खुले हैं. हल्की बारिश में ही कॉलोनी की स्थिति बदतर हो गई है. अध्यक्ष जी, मेरे वार्ड के कई मुहल्ले में वाटर क्राइसिस है. ड्रिंकिंग वाटर के लिए लोगों को काफी परेशानी हो रही है. कब तलक इससे निजात मिलेगी. सीएफएल लाईट तो आज तक पूरी लगी ही नहीं. ये तमाम सवाल ऐसे हैं, जो वार्ड काउंसलर्स बुधवार को निगम बोर्ड की हुई मीटिंग में नवनिर्वाचित मेयर से पूछ रहे थे. काउंसलर्स का कहना था कि अब बारिश ने भी दस्तक दे दी है. ऐसे में भले ही निगम ऑफिसर दावे कर रहे हों, लेकिन वास्तविकता यही है कि ग्राउंड लेवल पर कुछ नहीं हुआ है.
दो प्रस्ताव पारित
वाटर क्राइसिस को लेकर हर दिन हो रहे हंगामे ने पार्षदों का भी जीना मुहाल कर दिया है. तमाम पार्षदों ने इसको लेकर एक स्वर में हाऊस में आवाज उठाई. सभी इसका कोई परफेक्ट सॉल्यूशन चाहते थे. डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू ने हाऊस में यह सवाल रखा कि इसका निदान क्यों नहीं निकाला जाता कि कहीं भी यदि ट्रांसफार्मर जले या फिर मोटर जले फिर भी वाटर सप्लाई को निर्बाध ढंग से चालू रखा जा सके. इसको लेकर कमिश्नर श्रीधर चेरिबेलु ने दो प्रस्ताव बोर्ड को सुझाए. इनमें पहला था-कार्यपालक पदाधिकारी को जलापूर्ति शाखा मद में 50 हजार रुपए की राशि खर्च करने का राईट हो. इसके अलावा दूसरा प्रस्ताव यह है कि मरम्मति मद के चार राउंड का पैसा कार्यपालक पदाधिकारी के पास रिजर्व होगा. बोर्ड ने ध्वनि मत से इसे पास कर दिया.

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