Thursday, July 22, 2010

पहले अपनी गिरेवान को झाको ,तुब दूसरों पे ब्लेम करो....

पटना है तो राजधानी, लेकिन यहां प्रॉब्लम भी अनेक हैं. यही नहीं, यहां कंप्लेन भी हर किसी के पास है. कहें तो फ‌र्स्ट साइट सबका कंप्लेन भी सही ही लगता है. खराब सड़क, वाटर क्राइसिस, सड़कों पर पसरी गंदगी, पावर कट सहित कई प्रॉब्लम्स, जिनसे हम-आप आए दिन जूझते रहते हैं. पूरी राजधानी में किसी से भी पूछ लें, उसके पास शिकायतों का अंबार मिलेगा और इसके लिए हर कोई एडमिनिस्ट्रेशन को ही दोषी ठहराएगा. लेकिन, मेरी राय इससे थोड़ी डिफरेंट है. एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी से मैं इनकार नहीं करता, लेकिन कहीं ना कहीं इसके लिए हम भी जिम्मेदार हैं. सिस्टम को बनाए रखने की जिम्मेदारी जरूर एडमिनिस्ट्रेशन की है, पर व्यवस्था हमारे इंवॉल्वमेंट के बिना कंट्रोल में नहीं रह सकती. अगर सड़कों पर जहां-तहां कूड़ा बिखरा पड़ा है तो इसके लिए एडमिनिस्ट्रेशन से ज्यादा हम जिम्मेदार हैं. हम सड़कों पर बने कूड़ेदान में कूड़ा नहीं डालकर उसे दूसरी जगह डाल देते हैं. इसी प्रकार, वाटर क्राइसिस होने पर हंगामा-प्रदर्शन सब कुछ करते हैं, लेकिन पानी बचाने को लेकर हम कुछ भी नहीं करते हैं. घंटों नल से पानी निकलता रहता है, लेकिन हमें ध्यान नहीं रहता. यही कंडीशन बिजली के साथ भी है, हम एडमिनिस्ट्रेशन को कोसना शुरू कर देते हैं....कुछ मैय्नोमें हम अपनी रिस्पांसबिलिटी समझें, तो नजर नहीं आएगी हमे इतनी प्रॉब्लम ................

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