Thursday, July 22, 2010
महंगाई डायन खाए जात है,.......
महंगाई के बारे में क्या बोला जाए. जितना बोलो, उतना कम ही लगता है. क्योंकि इससे संबंधित इतनी बातें होती हैं कि हमें समझ ही नहीं आता कि क्या बोलें और क्या नहीं. महंगाई का तो अब यह हाल है कि कोई भी चीज सस्ती नहीं लगती. हर महीने हर चीज के दाम बढ़ जाते हैं. और सबसे बड़ी बात तो यह कि किसी एक चीज के दाम बढ़ने का असर पूरे मार्केट पर पड़ता है. अभी पेट्रोल, डीजल और किरासन तेल की ही बात करें तो हम देख सकते हैं कि इनके दाम बढ़ने से बाकी सामानों के दाम भी बढ़ गए हैं. इसका असर पूरे मार्केट पर पड़ने लगा है. ठीक उसी तरह अगर बस या ट्रेन का किराया बढ़ता है तो डेली यूज होने वाले हर सामान का दाम भी बढ़ जाता है. पिछले तीन-चार साल से महंगाई का यही हाल है. बढ़ती कीमतों ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा. हमारी सैलरी तो जस की तस है, लेकिन सामानों के दाम बढ़ने से हमारा बजट गड़बड़ हो गया है. हर महीने, हम मार्केट तो कुछ और सोच कर जाते हैं. लेकिन बजट कुछ और ही बनता है. और तो और अगर एक बार दाम बढ़ने लगते हैं तो कम ही नहीं होते. बस बढ़ते ही जाते हैं. इस महंगाई पर लगाम लगना बहुत ही जरूरी है, तभी तो आम जनता चैन की सांस ले पाएगी.
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